कभी आसमान को देखता हूँ
कभी धरती को देखता हूँ
कभी चाँद सितारों को देखता हूँ
कभी मूर्ति को देखता हूँ
कभी मुरलीवाले को देखता हूँ
मेरी किस्मत किसने लिखी है
उस ईश्वर को ढूंडता हूँ।।
कभी गंगा में ढूंडता हूँ
कभी जमुना में ढूंडता हूँ
कभी सागर के मंथन में ढूंडता हूँ
मेरी किस्मत किसने लिखी हैं
उस ईश्वर को ढूंडता हूँ।।
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