इतनी खूबसूरत।itni khubsurat


वो कितनी खूबसूरत है

लेकिन मेरे नसीब में नही

वो जब निकलती है

किसी और के हाँथों में हाथ डालकर

मेरे दिल मे एक जलन सी होती है।

जब वो हाथों में चूड़ी पहनती हैं

फिर खनखन करती हुई निकलती हैं

तो मेरे दिल मे एक चोट सी लगती हैं।

जब वो किसी और के बाहों में बांहे डालकर

तो मैं अपने नसीब को कोसता हूँ।

क्यो वो मेरे नसीब में नही है।

मैं आज भी उसे झुकी पलको से देखता हूँ

की सायद वो मेरी हो जाये।

सायद उसे ही नही पता कि मैं उसे चाहता हूँ

यह मेरी बदकिस्मती है।

उससे कैसे में इजहार करु मेरा दिल डरता है।

कही वह रूठ न जाये इस बात से मैं डरता हूँ।






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