जब से तूने मुझे बुलाया है
मेरे चेहरे पर निखार आया है
मैं तितलीयों सी उड़ने लगी
मैं फूलों से खिलने लगी
अब मेरे तन पर तेरा ही बुखार छाया है।।
मैं क्या करूँ,क्या न करूं
क्या खाऊं क्या न खाऊँ
क्या पहनू ,क्या न पहनू
मेरा दिल इसी कसमकस में है
तुझसे मिलने के खातिर नया सूट मंगवाया है ।।
धड़कने मेरी जोर भरने लगी
साँसे मेरी और चढ़ने लगी
मेरा मन मेरे काबू में न रहा
अब तुफानो का समंदर मेरे सीने में समाया है।।
जब से तूने प्यार का इजहार किया
क्या पल थे जब तूने मुझे प्यार किया
मेरे केसुओ को तूने जब काली घटा बताया है।।
मेरे आंखों के काजल को देखकर
मेरे पैरों के पायल को देखकर
मेरे हाँथों के कंगन को देखकर
जब तूने प्यार से मुस्काया है।।
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