हुस्न के कारीगर तेरा कोई जवाब नही
क्या सोचकर उनका हुस्न बनाया है।।
मै ही नही हर शख्स उनके हुस्न का गुलाम हैं
अब किसके नसीब से उनका नसीब मिलाया है।।
मैं उनको अपना बना लूँ
इसलिए मैं तेरे चौखट पर सिर झुका रहा हूँ
तू मेरी तक़दीर को उनसे मिला दे
इसीलिए मैं बार बार तेरे दर पर रहा हूँ
तू ही तो मेरी किस्मत को उनसे मिलाया है।।
उनका हुस्न एक क़यामत लगता है
जो दिल मे हलचल कर जाता है
दिल न रहता हैं अब काबू
वह तूफानों से लड़ने लगता है
तुम ही तो मेरे दिल मे सुनामी लाया है ।।
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