Prakriti par kavita|प्रकृति पर कविता
Jaise kudrat hain vaise nari hai।जैसे खुदरत है वैसे नारी है
जैसे कुदरत है वैसे नारी है
कुदरत सबको प्यारा है नारी सबको प्यारी है
कुदरत की सुंदरता नभ का आँचल होता है
नारी की सुंदरता उसका आँखों का काजल होता हैं
कुदरत के शिर से जैसे झरना बहते है
नारी के शिर में वैसे उसके केश रहते है
कुदरत बारिश देकर सबकी प्यास बुझाती है
नारी अपने शीने से बच्चों को दूध पिलाती है
कुदरत मंद-मंद हवाओं से मीठी गीत सुनती हैं
नारी अपने बच्चो को मीठी लोरी सुनती हैं
जैसे कुदरत हैं वैसे नारी है \
कुदरत सबको प्यारा हैं नारी सबको प्यारी हैं |
कुदरत की सुन्दरता पेड़ पौधे होते है
नजरी की सुन्दरता उसके अपने गहने होते हैं
कुदरत के पास नदियों का भंडार हैं
नारी के अंचल में उसका माँ वाला प्यार हैं
जैसे कुदरत है वैसे नारी है
कुदरत सबको प्यारा है नारी सबको प्यारी है
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आसमान में काले बादल
आसमान में काले बादल
हरदम दौड़ लगाते है
सागर चाचा के घर से
पानी भर कर लाते हैंआसमान में काले बादल
हरदम दौड़ लगाते है
आंधी तुफानो से वो
अपना गुस्सा दिखलाते हैं
बारिश दे कर के वो
फिर से सबको मानते हैं
आसमान में काले बादल
हरदम दौड़ लगाते है
प्रकृति
प्रकृति सबसे सुन्दर हैं
प्रकृति सबसे मनमोहक हैं
पेड़ पौधे रंग बिरंगे
इंद्र धनुष बनते सतरंगे
ये सब प्रकृति के खेल खिलौने
जंगल की ये जो हरियाली
पर्वतो की क्या बात निराली
समुद्र नदियां आँचल बन कर
प्रकृति की सुन्दरता को बदती
काली घटाए बादल की
प्रकृति के केशो को बनाती
हरियाली तो साडी बनकर
प्रकृति को कपडे पहनाती
पक्षी जिव जंतु सब
प्रकृति के सब बच्चे कहलाते
आसमान का नभ नीला
सूरज का जब तन पीला
प्रकृति की सुन्दरता को बढाती हैं |
Prakriti par kavita|प्रकृति पर कविता
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