100+ hindi kavitayen|100+ हिंदी कवितायेँ 100+ hindi kavitayen|100+ हिंदी कवितायें

100+ hindi kavitayen|100+ हिंदी कवितायें

 

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गुरु

गुरु  है मार्गदर्शक,

गुरु है शिक्षा दाता,

गुरु हमारा भाग्यविधाता,

गुरु हमारा ईश्वर,

गुरु हमारा माता ,

जो सत मार्ग दिखाये,

वह गुरु है कहलाता!!

गुरु हमारा मित्र,

गुरु हमारा जीवन,

गुरु के चरणों मे,

हमारा जीवन अर्पण,

गुरु हमारा ईश्वर,

गुरु हमारी माता,

जो सत मार्ग दिखाये,

वह गुरु हैं कहलाता!!


               गुरु/चरन सिंह





             


 

भीषण गर्मी

 

भीषण गर्मी पड़ रही, तालाब नाले गये सब सूख
भोर हुई, सूरज निकला, तपने लगी धूप
जमीन पर पैर नहीं रख सकते, तलवे में पड़ गये  छाले
भीषण गर्मी पड़ रही, सुख गए सब नदी नाले
त्राहि त्राहि कर पशु पक्षी और रहे हाफ़
पानी पीने को भी नहीं मिल रहा
तालाब नदी नाले से पानी हो गया साफ
घर मे कूलर भी काम नहीं कर रहे
किसान खेतो में काम से मर रहे
लू से झुलस गया चेहरा
गर्मी ने डाला ऐसा पहरा
घर से बाहर निकल नहीं सकते
घर के अन्दर आराम से रह नहीं सकते

                                     

 

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जल

जल है तो कल है
जल है तो जीवन
जल ही है पावन
जल ही है दर्पण
जल ही है निर्मल
जल ही हैं गंगाजल
जल ही से पक्षी
जल ही से पौधे
जल है तो जीवन
जल ही से धरती
जल से है बादल
जल से समुंदर
जल से है नदियाँ
जल से हिमालय
जल है तो कल हैं
जल से है जीवन
जल को बचाओ जीवन बचेगा
जल के बिना जीवन नहीं बचेगा
दोस्तों जल बचाओ,तब कल बचेगा

                                           

 


 

 

तिरंगा वाली

मैले कुचैले कपड़े तन पर
बूढ़े तन की काया
बिखरे बाल स्यामल रंग
वो शान्ति की छाया
हाँथो में तिरंगे की झोली
हर आदमी से बेच रही थीं वो
कोई गाड़ी से आये कोई पैदल आये
सभी से बोल रही थी वो
तिरंगा ले लो भईया||२
किसी बेवकूफ ने उसे डांट दिया
और उसका तिरंगा हाँथ से गिर गया
उस औरत ने तिरंगा उठाया शीने से लगाया
माथे पे लगाया उसको तिरंगे की इज्ज़त हैं प्यारी
इस लिए वह कहलायी मेरी नजर में  तिरंगा वाली
फिर वो तिरंगों को  लेकर चल दिया
अपने काम पर लग गयी
तिरंगा की तरह ही उसका दिल लहरा गया
उसको तिरंगा की इज्ज़त है आती
इस लिए वह तिरंगा वाली है कहलाती

                                       


 ham-tumhe-pana-chaahen


हम तुम्हें पाना चाहे

हम तुम्हें पाना चाहे
ऐसी क्या खूबी हैं तुममें,तुमको चुराना चाहे
हम तुम्हें पाना चाहें
कितनो को देखा है हमने, दिल में कोई बसी नहीं
पर जबसे देखा है तुमको,दिल से तुम गयी नहीं
तुममें ऐसी क्या है खूबी,तुमको अपना बनाना चाहे
हम तुम्हें पाना चाहे
सुना है मैंने लोगों से,एक तसवीर है होती दिल के लिए
एक दफा जो बस गई दिल मे,उसको न मिटाना चाहे
अपने दिल के खाली कोने तुमको बसाना चाहें
हम तुम्हें पाना चाहें
एक झलक के खातिर तेरा पीछा करते हैं
दिन में भी खुली आँखों से तेरा सपना बुनते है
हर समय बस तुझसे बातें करना चाहें
हम तुम्हें पाना चाहें

       
हम तुम्हें पाना चाहें/चरन सिंह

 




पलकें झुका दिये

 

मुझको वो देखकर पलके झुका दिये
पलके झुका के वो न जाने क्यों मुस्कुरा दिये
वो दूर से मुझे ही देखा करती हैं
पास आकर के नजरे गिरा दिये
मुझको वो देखकर पलकें झुका दिये
पलकें झुका के वो न जाने क्यों मुस्कुरा दिये

मेरे पास आकर के कुछ कहना चाहती है
आती है धीरे धीरे ठहरना चाहती है
प्यार के वो लव्ज़ बोलकर निकल गयी
जाते जाते वो मेरी धड़कन बढ़ा दिये
मुझको वो देखकर पलकें झुका दिये
पलके झुका के वो न जाने क्यों मुस्कुरा दिये

आज मुझको उसकी बहुत याद आ रही है
वो न दिख रही तो मेरी जान जा रही है
उसके लिए ये मेरा दिल तड़प रहा है
रब से उसको माँगा वो मिला दिये
मुझको वो देखकर पलकें झुका दिए
पलकें झुका के वो न जाने क्यो मुस्कुरा दिये


         




विकलांग मजदूर

एक पैर से है अपाहिज
वह है बुजुर्ग मजदूर
कर्म के प्रति है वफादार
झाड़ू पोछा कचड़े को फेकना काम है उसका
हर मुसाफिर से पानी पीने को पूछना आराम है उसका
दिनभर काम  अपने धुन में करना
कोई अच्छा बोले कोई बुरा सब सहना
दो सौ रुपये दिन की मजदूरी करना
उसे सायद भाता हैं
रोज समय पर अपनी ड्यूटी पर आता है
रोज सुबह से शाम तक काम करता है
ड्यूटी पर वो न आराम करता हैं
रूखा सूखा जो मिला उसे कहा लिया
पानी पीकर वह दिन बिता लिया
एक दिन उसके लिये आफ़त आ गयी
ठेकेदार ने उसको काम से निकाल दिया
वह विकलांग बुजुर्ग मजदूर का सहारा टूट गया
पसीने से सारा शरीर भीग गया
पागलो की तरह बेचैन हो गया
सभी कर्मचारियों के पास जाकर मुझे न निकालो कहने लगा
पर कोई एक बात न सुनी
वो बेसहारा हो कर जमीन पर बैठ गया
दो तीन दिन फिर न दिखा
फिर एक दिन आया खुशहाल था
बोला समय जो करता है वह ठीक ही होता हैं

एक सहारा टूटता है तो दूसरा मिल ही जाता है
  

 

 

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तूफा

अगर तूफान आये तो नहीं दिखता कोई मंजर
सबसे बड़े सुनामी का घर बन गया हैं समुंदर
तुफानो ने तोड़कर रख दिया घर मेरा
बिखरना ही लिखा था मेरे साझे का मुकद्दर

सम्भलू कैसे अपने असहाय मुकद्दर को
तुफानो के इस सबसे बड़े समंदर को
कठिन है काम ये इतना बिखर ही जाता है
लहरों का काम ही हैं इनका आना जाना होता हैं

मेरे जीवन मे तुफानो का आना जाना होता है
कभी सुख कभी दुख का बहाना होता है
इनसे कैसे निपटु परेशान रहता हूँ
कभी रोटी मिलती है कभी पानी पीकर बिताना होता हैं

                             




आग लगी मेरे तन में

आग लगी मेरे तन में जो सुख गया है यार
मैंने मांगा था रब से उस लड़की का प्यार

तड़प रहा हूँ हरपल उसकी चाहत में
सुख गया मेरा तन उसकी चाहत में
मिलने का किया था वादा फिर जाने कहा गयी
न वो आयी न उसकी आयी कोई खबर
आग लगी मेरे तन में जो सूख गया हैं यार
मैंने मांगा था रब से उस लड़की का प्यार

उसकी चाहत में मैं पल पल मरता हूँ
उसके बिना मैं कैसे रहता हूँ
ये मेरा ही दिल जाने,और जाने मेरा प्यार
आग लगी मेरे तन में जो सूख गया है यार
मैंने मांगा था रब से उस लड़की का प्यार

पहली नजर में मुझको उससे प्यार हुआ
वो बन जाये मेरी माँगी रब से यही दुआ
दो पल की वो खुशिया दिल टूट गया अब यार
न जाने कहा गयी मिल न सका मेर प्यार
आग लगी मेरे तन में जो सुख गया है यार
मैन मांगा था रब से उस लड़की का प्यार

       


 

 





तुझे बदनाम करूँ

 

तुझे बदनाम करू ऐसा खयाल आता है
फिर सोचकर ऐसा मेरा दिल तड़प जाता है
तुझे बदनाम करु
क्यू मेरे दिल मे ऐसी चाह जगी
ये मुझे समझ मे नही आता हैं
तुझे बदनाम करू ऐसा खयाल आता है
फिर सोचकर ऐसा मेरा दिल तड़प जाता हैं
तुझे बदनाम करू
तेरी बेवफाई ने ऐसी उम्मीद जगाई है
तुजे बदनाम करू तो मेरे प्यार की रुसवाई है
तुझे बदनाम करू ऐसा खयाल आता है
फिर सोचकर इस मेरा दिल तड़प जाता है
तुझे बदनाम करू
मैंने तो तुझे दिल से यार चाहा था
पर क्या कमी दिखी तुझे जो मुझे छोड़ दिया
तुझे बदनाम करू इस खयाल आता है
फिर सोचकर मेरा दिल तड़प जाता हैं
तुझे बदनाम करू
इस मैं काम करू तेरी जग हसाई हो
तेरे बारे ने कहूँ जिससे तेरी रुसवाई हो
फिर सोच कर दिल तड़प जाता है

तुझे बदनाम करू

 

 


 

   

                                                                                               आ   ज मेरी आँखों ने

आज मे री आँखों ने मुझपे सितम ढाया है
आज   ता है मेरे आँखो से पानी
एक दि  न तुझे देखते ही इनमें चमक आई थी
आज तू न दिखी तो ये मुरझाई हुई हैं
आज मेरी आँखों ने मुझपे सितम ढाया हैं
आज बहता है मेरे आँखो से पानी
तूने सपनो में मेरे आकर के इनको बहुत सताया है
तेरी इन मखमली जुल्फों ने मेरे दिल मे घर बनाया हैं
आज मेरी आँखों ने मुझपे सितम ढाया हैं
आज बहता है मेरे आँखो से पानी
तेरी झील सी आँखो में जो मैंने देखा अपना चेहरा
तेरे चेहरे ने मुझे पागल बनाया हैं
आज मेरी आँखों ने मुझपे सितम ढाया हैं
आह बहता है मेरे आँखो से पानी
तु जो हस कर मुझसे बात करती हैं
जाते समय जो मुस्कुराया हैं
आज मेरी आँखो ने मुझपे सितम ढाया है
आज बहता है मेरे आँखो से पानी

 

 


 



वीर

जब तलवार खिंचे तो रक्त चढ़े
जब नाड बजे तो गर्जन हो
जब वीर उठे तो मर्दन हो

जब वीर की गर्जन से काँपे
गज भी पीछे को भागे
शेर भी अपना सिंहासन छोड़े
पर वीर न अपना रास्ता मोड़े

तलवार म्यान से निकल पड़ी
दुश्मन के शीने जा के चुभी
दुश्मन ने जब दम तोड़ दिया
वीर तभी मुस्काया हैं

जब तलवार खिंचे तो रक्त चढ़े
जब नाड बजे तो गर्जन हो
जब वीर उठे तो मर्दन हो

वीरो की एक बात निराली
वह जान से खेला करते हैं
वो आन से जीते रहते है।
वो शान से मरना चाहते है

पर उन्हें शीश झुकना पसन्द नही
उन्हें आँसू बहाना पसन्द नही
मातृभूमि के रक्षा में शिर कट जाये
पर झुकें नही

जब ललकार दिया वीरो ने
दुश्मन रण को छोड़ दिया
अब औकात हैं क्या इस दुश्मन की
जो हमकों फिर से छेड़ सके

जब तलवार खिंचे तो रक्त चढ़े
जब नाड बजे तो गर्जन हो
जब वीर उठे तो मर्दन हो

           


 



ham-tumhe-pana-chaahen


सच्चा दोस्त

कुछ ख़्वाईसे है
कुछ फरमाइशें हैं
कुछ चाहते हैं
कुछ आदतें हैं
ये सब पता होता है
एक सच्चे दोस्त को

क्या हमें चाहिये
क्या नही चाहिये
हर बात का ज़िक्र
हम करते हैं
एक सच्चे दोस्त से

दुख सुख में जो साथ देता है
गिरने से पहले जो थाम लेता हैं
गलत राह में जो जाने से रोके
जो साथ निभाने को शीने ठोके
वही सच्चा दोस्त होता है


         


 






न आँख लड़ी

न आँख लड़ी
न बात बढ़ी
फिर मेरा दिल क्यो तड़प गया
मन मचल गया
आँख चमक गयी
जब तेरी एक झलक मिली
न प्यार हुआ
न करार हुआ
फिर मेरा दिल क्यो तड़प गया
न चाह जगी
न आग लगी
फिर मेरा दिल क्यो तड़प गया
जब तू है दिखी
न नजर मिली
फिर मेरा दिल क्यो तड़प गया
बस तेरी एक मुस्कान ने
तेरी आँखों की पहचान ने
मेरे दिल मे वार किया
फिर मेरा दिल क्यो तड़प गया
तेरी पलके झुकी
मेरी पलके झुकी
फिर मेरा दिल क्यो तड़प गया
जब तुमने कहा
मुझे प्यार हुआ
फिर मेरा दिल क्यो तेदेपा गया
मुझे ऐसा लगा
मुझे प्यार हुआ
इसलिए मेरा दिल तड़प गया

                           


 






कोरोना(covid-19)

कोरोना कोरोना अब जाओ ना
हमने तुम पर लिख दिया एक गीत
लोग तुमसे हो रहे है भयभीत
जहा तुम्हारा घर है
वही घर बसाओ ना
तुम अपने घर से बाहर आओ ना
कोरोना कोरोना अब जाओ ना
बहुत दिन तुम घूम लिए देश विदेश
अब जाओ फिर से अपने देश
कोरोना तुम क्यो इतनी बड़ी बीमारी बनकर आये हो
तुमसे सारा विश्व घबराया हो
लॉक डाउन में सब लोग हो गए परेशान
तुम घूम रहे हो सबके सामने खुले आम
हम मास्क लगाकर तुमसे बचने की कोशिश करते
हर घण्टे हाँथ साबुन से धोते रहते
कोरोना कोरोना मान जाओ ना
अपने देश को तुम फिर जाओ ना
हम घर से निकल नही पाते
घर मे रहकर हो गए हैं बोर
तुमने आतंक मचाया घनघोर
अब तो हमारी बात मान जाओ ना
कोरोना कोरोना अपने घर जाओ ना
कितने लोगों को मारा अपने प्रकोप से
अब टी शान्त हो जाओ ना
कोरोना कोरोना अपने घर जाओ ना
क्यों तुम इतने निष्ठुर हो कर बैठे हो
कौन तुमसे नही डरता हैं
जब सब लोग तुमसे डरते है
अब अपना डर हमे दिखाओ ना
कोरोना कोरोना अपने घर जाओ ना
तुम्हारा एक और भी नाम हैं
Covid 19
से भी तुम जाने जाते हो
Covid 19
को भी सब लोग जान गये
Covid 19
अब तो मन जाओ ना
कोरोना कोरोना अपने घर जाओ ना

                                     








ऐ प्रीत मेरी

ऐ प्रीत मेरी
मैं गीत तुझी पे लिखता हूँ
जब खन खन करता सावन बरसे
सावन के उन बूंदों का
संगीत तुझी पर लिखता हूँ

बादल के घन घोर नाद से
जब तेरा तन सिमट गया
मेरे मन मे एक आस जगी
जब तेरा पल्लू  खिशक गया
तेरी सुंदरता का मैं फिर से
संगीत तुझी पर लिखता हूँ
ऐ प्रीत मेरी
मैं गीत तुझी पे लिखता हूँ

जब झूम झूम कर चली हवाएं

तेरी जुल्फों को उड़ाती हैं

बसन्त की हरियाली 

जब तेरे मन को भाती हैं

हरियाली को देख तेरा

जब मन फिर से खिलता हैं

ऐ प्रीत मेरी

मैं गीत तुझी पे लिखता हूँ

 

जब खन खन करती तेरी पायल

मेरे मन  को भाती हैं

बार बार जब तेरे आने की आहट 

मेरे मन मे बस जाती हैं

मैं तेरे लिए एक गीत

गुनगुने लगता हूँ

ये प्रीत मेरी

मैं गीत तुझी पे लिखता हूँ

 


 






न आँसू बहे न पीर गयी

न आँसू बहे न पीर गयी
एक शीने पर तीर गयी
तब दिल मेरा एक आह भरा
जब तेरे नैनो की तीर गयी
न आँसू बहे न पीर गयी

क्या छल था तेरी बातों में
जो मेरी आँखों मे नीर भरा
जो दिल को मेरे चीर गयी
न आँसू बहे न पीर गयी

क्या मैंने सपना देखा था
तुझको अपना देखा था
तूने मुझको ठुकरा करके
मेरे सपने तोड़ गयी
न आँसू बहे न पीर गयी

जब क्या होता हैं कोई अपना
अपने को धोखा देता हैं।
साहिल पर आते ही लहरे
बीच समंदर में खीच गयी
न आँसू बहे न पीर गयी

           


 100+ hindi kavitayen|100+ हिंदी कवितायेँ








प्रज्वलित दीप

प्रज्वलित दीप की अग्नि से
कोरोना को जलाना हैं
कोरोना को भगाना हैं
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा

आज विश्व फैल गया है
एक महामारी का जाल
जन जन इससे लड़ रहा हैं
हो रहा बुरा हाल
हम  सबको अब मिलाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा

इस बीमारी से कितने लोग
घर से बेघर हुए
राह पर कोई बैठा है
उन सबकी भूख मिटाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा

जो जहा पर रुका हुआ है
कोरोना से लड़ने के खातिर
उनका हौसला बढ़ाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
प्रज्वलित दीप जलाना होगा
 











आओ एक दीप जलाये

आओ एक दीप जलाये
मन का संकल्प बढ़ाने को
कोरोना महामारी को
भारत से दूर भगाने को
संकल्प लिया हम सब ने

एकजुट होकर हमें लड़ना है
आज समय आया है ऐसा
घर में ही हमें रहना है
आओ एक फिर दीप जलाये
मन का उत्साह बढ़ाने को

एक दीप जो जल जाएगा
अंधकार मिट जाएगा
नया सबेरा जब आयेगा
खुशियों की राह दिखाने को
आओ एक दीप जलाये
मन का संकल्प बढ़ाने को

समय एक आया है ऐसा
देश हमारा बन्द हुआ
हर घर का मालिक
अपने ही घर मे बन्द हुआ
जो प्रलय आया है
उसको  मिलकर दूर भगाये

आओ एक दीप जलाये

मन का संकल्प बढ़ाने को


 






कुछ चोटो ने

कुछ नोटो ने
कुछ चोटो ने
कुछ वोटो ने
हमको बहकाया हैं
हमने हरदम अपनो का
इनके ख़ातिर खून बहाया हैं

कुछ रोटी ने
कुछ बोटी ने
कुछ दौलत की पोटली ने
हमकों बहकाया हैं
हमने हरदम अपनो का
इनके ख़ातिर खून बहाया हैं

कुछ लालच ने
कुछ लाचारी ने
कुछ अपनो की व्यापारी ने
हमको बहकाया हैं
हमने हरदम अपनो का
इनके ख़ातिर खून बहाया हैं

कुछ धर्मों ने
कुछ धर्म गुरुओं ने
हमको गलत पाठ पढ़ाया हैं
हमने हरदम इंसानियत का
इनके ख़ातिर खून बहाया हैं
       







 

नयी दिवाली

ये कैसा दिन है आया
जो नयी दिवाली आयी हैं
मन मे सबके डर था एक
फिर जो खुशहाली लायी हैं
जो नयी दिवाली आयी हैं

घर में हम सब बैठे हैं
कोरोना से सब लड़ने को
देश हमारा बन्द हुआ
कोरोना से बचने को
फिर एक आस आयी हैं
जो नयी दिवाली आयी है

हर घर के दरवाजे पर
लोगों ने दीप जलाया हैं
इस महामारी से लड़ने का
सबने संकल्प उठाया है
सबने मिलकर एक साथ दीप जलायी हैं
जो नयी दिवाली आयी हैं

हम न निकले घर से
न किसी से बात करें
दूरी बनाकर आपस मे कोरोना से दूर रहे
मिलकर हमने फिर एक कसम खायी हैं
जो नयी दिवाली आयी हैं

                 









दीप जलाये

आओ मिलकर दीप जलाये
हम सबका सम्मान बढ़ाये
अपनी अपनी जिम्मेदारी से
कोरोना को मार भगाये
आओ मिलकर दीप जलाये

प्रज्वलित दीप जब होगा तो
अंधकार मिट जाएगा
मानवता के दुश्मन का
विचार बदल कर आएगा
अपनी एक जिम्मेदारी को
घर मे रहकर सम्मान बढ़ाये
आओ मिलकर दीप जलाये

किसी ने हमको मौक़ा देकर
हमको एक सम्मान दिया
हमें जलाना हैं घर के बाहर
मानवता का एक दिया
कोरोना जैसी महामारी को
हम सब मिलकर मार भगाये
आओ मिलकर दीप जलाये

धर्म नही कहता हैं कि
मानवता को तुम पार करो
अपने ही भाई पर तुम
चुपके से फिर वार करो
आज समय आया है ऐसा
कोरोना को हम मार भगाये
आओ मिलकर दीप जलाये

जिसने हमसे यह आह्वान किया
उस महापुरुष की अभिलाषा को हम
अपनी अभिलाषा बनाये
जिस मिट्टी में जन्म लिया
उस मिट्टी का मान बढ़ाये
आओ मिलकर दीप जलाये
       
               


 







होली

रंग में भंग मिला रहे सब

फागुन में जब होली

ब्रज में भी कान्हा खेले

राधा संग में होली

खेल रहे सब मिल के रंगवा

भिगो रहे सब चोली
कोई रहे अगुआ तो कोई गाये फगुआ
कोई बाटे भंगवा तो कोई पीसे भंगवा
होली में जब तक होता हुड़दंग
होली होली न होती
भाभी के डालो रंग साली के डालो
घर वाली के रंग डालो बाहर वाली  के डालो
होली में सबको छूट होती
एक एक अंग में रंग लगा के
दारू पीकर के डीजे में फिर डान्स करत है
गिर गिर जात है कीचड़ में
अब होली अब होली में सब नसे में नाचे
ऐसी होती होली रे
बोलो होली है



         

 

 


 

 

जलधारा

नैनो में जैसे जलधारा हैं मेरे
थोड़ा दर्द हुआ तुझको
छलक जाते हैं मेरे
नैनो में जैसे जलधारा है मेरे

तू जो मुझको बुलाती
मेरी आँखें चमक जाती है
तेरी आने की आहट
दिल मे खनक जाती है
तू जो जाने को कहती
नीर छलक जाते मेरे
नैनो में जैसे जलधारा है मेरे

तेरी एक तसवीर मेरी
आँखों मे बस गयी है
देखोगी क्या तुम नैनो में मेरे
नैनो में जैसे जलधारा है मेरे

               

 


 





जनसंख्या

पेड़ पौधों को काट काट कर शहर बना डाला
जंगल को काट काट कर सुनसान बना डाला
न मिलती शुद्ध हवा है
न दिखती है हरियाली
खाद यूरिया डाल डाल कर जमीन को बेजान बना डाला
गाँव गाँव को शहर बना डाला
जंगल को काट काट कर सुनसान बना डाला

शहरों में दिखते जैसे कोई पेड़ नहीं
पार्को में जाते रहते सब लोग वहीं
शुद्ध हवा के लिए लगाते मास्क सभी
फिर भी सुद्ध हवा न मिल पाती है
जीने की इच्छा अब टूट ही जाती है
पेड़ पौधों को काट काट कर शहर बना डाला
जंगल कों काट काट कर सुनसान बना डाला

सायद हर समस्या जनसंख्या से होती है
जब जनता कम होगी आवश्कता कम होगी
जमीन कम लगेगी जंगल बचे रहेंगे
जीव जन्तु और नदियां सागर संग खड़े रहेगें
न कोई पेड़ कटेगा न कोई प्रदूषण बढ़ेगा
जनसंख्या कम जरूरत कम
सब कुछ रहेगा सीमित
पेड़ बचेंगें जमीन बचेंगे जंगल मे हरियाली
जीव जंतुओं बीच मिलेगी जीवन की खुशहाली   

 








जीत और हार

न जीत की है पहचान मुझे
न हार की है अनुमान मुझे
क्या दो मालाये होती है
जो अपना अपना स्थान बताती है
मुझको पहना दो एक ऐसी माला
जिससे मिल जाये सम्मान मुझे

मैं राजनीति में उतर रहा
हर घर गलियों में बिचर रहा
नत मस्तक होकर बड़े भाव से
वोटों को मैं माँग रहा
आज मुझे फिर हार जीत का
अनुमान लगाना होगा
अपना सम्मान बढ़ाने के खातिर
कूछ काम दिखाना होगा

राजनीति है एक गलियारा
जहाँ धन सम्मान मिलेगा
जनता को जब हम भूलेंगे
जनता फिर से जागेगी
किसी के माथे जीत सजेगी
किसी की हाँथ हार लगेगी
न जीत की है पहचान मुझे
न हार की है अनुमान मुझे

                         


 

 




हमें लक्ष्मी चाहिए

 

 

 

हमें लक्ष्मी चाहिए
हमें लक्ष्मी चाहिए
लक्ष्मी मतलब धन दौलत और मनी चाहिए
हमें लक्ष्मी चाहिए

 

 


लक्ष्मी जिसके पास आती हैं
उसकी सोयी किस्मत जाग जाती हैं
ऐसी किस्मत मेरी भी होनी चाहिए
हमें लक्ष्मी चाहिए


घर घर मे लक्ष्मी की पूजा होती है
लक्ष्मी के कई रूप माने जाते हैं
किसी को सोना चाँदी किसी को पैसा चाहिए
हमें लक्ष्मी चाहिए

 


धन दौलत की देवी को लक्ष्मी कहते हैं
आज की लक्ष्मी लोग पैसे को कहते हैं
हमें पैसा चाहिए
हमें लक्ष्मी चाहिए

 


लक्ष्मी में कई रंग रूप हैं
किसी को सोना चांदी
किसी को पैसा चाहिए
हमें लक्ष्मी चाहिए

 


लक्ष्मी के खातिर आज गुनाह भी होते हैं
भाई भाई में बटवारा चाहिए
ये मेरी दौलत है मुझे चाहिए
हमें लक्ष्मी चाहिए

               

 


 






कर्म

 

वक्त गर साथ हो तो हर मुश्किल को आसान बना देते हैं
कर्म  ही है जो हर इंसान की पहचान बना देते हैं
लोग जिस पर भरोसा करते हैं
चाहे तो पत्थर को भी भगवान बना देते हैं

जो कर्म को अपना धर्म समझते हैं वही आगे बढ़ते हैं
जो धर्म की आड़ में लोगों को गुमराह करते हैं
एक दिन गड्ढे में स्वयं ही गिरते हैं

गर नाम कमाना है तो देश हित का काम करो
सैनिकों से दुश्मन से लड़ो
आपस मे लड़ना बुरी बात है
लड़ना ही है तो सरहद पर दुश्मन से लाडो

काम नही है जिसके पास
उसको करना है कई प्रयास
एक दिन सफलता मिल जाएगी
फिर किस्मत साथ निभायेगी

                             


 







धनतेरस

 

 

धनतेरस आयो खुशियां लायो
माँ लक्ष्मी का पूजा पाठ होगा
हर आदमी में कुछ लेने की होड़ लगी
दुकानों में भीड़ लगी
कोई सोना है लेता,कोई बर्तन हैं लेता
सब को आशा है रहती

 

 

माँ लक्ष्मी हमको धन  देती हैं
सुख सम्पति धन यस  देती है
धनतेरस  में सब लोगों में खुशियां होती है
माँ लक्ष्मी का पर्व धनतेरस हैI

 

कुछ न कुछ धनतेरस में खरीद दरी करो
माँ लक्ष्मी आप लोगो का कल्याण करेंगी
कुबेर जी  धन की रक्षा करेंगे
माँ लक्ष्मी औऱ कुबेर जी की पूजा करो
धनतेरस में धन की वर्षा होगी
धनतेरस

 


                 


 





भीषण गर्मी

 

भीषण गर्मी पड़ रही तालाब नाले गये सब सूख
भोर हुई सूरज निकला तपने लगी धूप
जमीन पर पैर नहीं रख सकते तलवे में पड़ गये  छाले
भीषण गर्मी पड़ रही सुख गए सब नदी नाले
त्राहि त्राहि कर पशु पक्षी और रहे हाफ़
पानी पीने को भी नहीं मिल रहा
तालाब नदी नाले से पानी हो गया साफ
घर मे कूलर भी काम नहीं कर रहे
किसान खेतो में काम से मर रहे
लू से झुलस गया चेहरा
गर्मी ने डाला ऐसा पहरा
घर से बाहर निकल नहीं सकते
घर के अन्दर आराम से रह नहीं सकते

                                     


 

 100+ hindi kavitayen|100+ हिंदी कवितायेँ






नफ़रत

नफरते तो पनप रही है,

हर दिल की धड़कन में।

न जाने क्यों ऐसा होता है,

आपस मे भाई चारा खोता है,

मेहनत सब करते हैं यारों,

फिर क्यू ऐसा होता है।।

कोई ज्यादा कोई कम पाता है।।

पढे लिखे समाज मे,

असभ्य लोग बढ़ते जाते है।।

दुराचारियो की संख्या बढ़ती जाती हैं।।

नफ़रतें तो पनप रही हैं,

हर दिल कि धड़कन में।।

सरहदों में नफ़रतें होती थी,

अब घर घर मे होती है।।

गोली चलती थी सरहदों पर,

अब आपस मे चल जाती है।।

नफ़रतें तो पनप रही हैं,

हर दिल की धड़कन में।।

कोई धर्म युद्ध की नफरत फैलाते,

कोई जातिवाद की कसमें खाते,

कोई कहता मन्दिर बन जाये,

कोई कहता मस्जिद बन जाये,

ये मुद्दा है सिर्फ नफरत का,

मन्दिर मस्जिद दोनों बनवा दो,

नफरत का किस्सा मिटा दो,

नफ़रतें तो पनप रही है,

हर दिल की धड़कन में.।।

राजनीति में पड़ना नहीं,

मुद्दा बन कर उभरना नहीं,

वरना नफरत के हो जाओगे शिकार,

राजनीति लोकप्रियता और नफरत का सबसे बड़ा हथियार।।

                                           

                                                     

 

 

           


 



     जो बीत गए है पल

 

जो बीत गए हैं पल याद मुझे आते हैं

आने वाले पल एहसास दिला जाते हैं

जब न मिली थीं तू मुझको, मुझे किसी की परवाह न थी

जीत था मस्ती में ,मुझे किसी की चाह न थी

वो पल याद दिला जाते हैं

जो बीत गये है पल याद मुझे आते हैं

 

घूम रहा था जग में,बेसुध बेपरवाह

आज मुझे होती है बस तेरी परवाह

बीते पलो में थी जीवन की रँगीन यादें

आने वाले पल एहसास दिला जाते हैं

जो बीत गये है पल याद मुझे आते हैं

 

बचपन खेला मस्ती में,न थी कोई जिम्मेदारी

बड़ा हुआ तो मिल गई मुझको मेरी जिम्मेदारी

बचपन की यादों के पल मुझे याद आते हैं

जो बीत गए हैं पल याद मुझे आते हैं

आने वाले पल एहसास दिल जाते हैं

 

जेब में दस रुपये होते थे बचा बचा कर खर्च किया

आज होते हैं हजार रुपये फिर भी न बच पाये

समय वही जो बीत गया हम सह लेते थे

आने वाले पल को कैसे सम्भले गे

जो बीत गये है पल याद मुझे आते हैं

आने वाले पल एहसास दिला जाते है

 

                   

 

 

 





मधुशाला का आशिक़

 

जब तक तेरा आशिक़ था

मधुशाला को छुआ नही

तूने मुझको ठुकराया

मैं मधुशाला को अपनाया

मधुशाला को पीकर मैं नभ में उड़ने लगता हूँ

धरती में आकर मैं तांडव करने लगता हूँ

मैं जाता हूँ  मैखाने में

पीने मधु की एक प्याला

मधुशाला मुझको लगती हैं

अमृत रस का एक प्याला

लड़की और मधुशाला में मैंने एक अंतर देखा है

लडकी धोखा देती है

मधुशाला अपना लेती हैं

मदिरा का एक प्याला

मुझको अपना आशिक़ बना डाला

मैं आशिक़ हूँ मधुशाला का

जब तक मैं मधुशाला का एक घुट पिया नही

मुझको ऐसा लगता है, मैं ने जीवन जिया नही

मैं आशिक़ हूँ मधुशाला का

 

                


 






तुमने मुझे चाहा ही नहीं

तुमने मुझे चाहा ही नही                       

क्यों ढोग किया था दो पल का               

तेरी आदत है क्यो धोखा देना                

इसमें तुझको क्या मिलता हैं                 

मेरे जैसा आशिक़ हरपल मरता हैं                

तूमने  मुझे चाहा हि नहीं                    

 क्यो ढोंग किया था दो पल का

 

कितनी मासूम तुम लगती हो

कितनी प्यारी दिखती हो

कितनी नादानी तेरे अंदर है

तू उतनी ही सुंदर है

अपनी सुंदरता से तूने मुझको लुटा है

तुमने मुझे चाहा ही नहीं

क्यो ढोंग किया था दो पल का

 

उम्मीदो को मेरे क्यो तोड़ा

जो निभा न सकोगी वो रिश्ता क्यो जोड़ा

जो तुम्हें कहलाये बेवफ़ा

तुमने ऐसा काम किया ही क्यू

तुमने मुझे चाहा ही नहीं

क्यो ढोंग किया था दो पल का  


   










  कबूतर

      

स्वेत रंग के दो सुंदर पंक्षी,                                   दोनों जोड़े में ही रहते,

सँग संगनी दाना चुगते,

सँग में दोनों गुटरगूँ करते,

लोग कबूतर कहते हैं इनको।।

पल दोनों दूर न हो पाते,

उड़ जाते वो नीलगगन को,

   अपना घरौंदा भूल न पाते,

दूर दूर तक जाते है,

दाना चुग कर आते हैं,

कभी आकाश को छूते,

कभी जमीन पर आते,

अपनी जिंदगी खुशहाली से जी रहे थे,

एक दरिंदा बाज है आया,

कबूतर को मार गिराया,

कबूतर लहूलुहान गिरा,

कबूतरी का बुरा हाल हुआ,

कभी  कबूतर को हिलती,

   कभी फिर उड़ जाती,

फिर आती फिर उड़ हिलती,

कबूतरी का बुरा हाल हुआ,

कबूतर के बिरहा में उसने,

अपने प्राण भी त्याग दिया,

 

         


 





तुमने भेजी है अपनी तसवीर

 

तुमने भेजी है जो अपनी तसवीर

जैसे चलाया हो मेरे दिल में तीर

तुम्हें पता है,मैं आशिक़ सुंदरता का

तुमने भेजी है सुंदर तसवीर

जैसे चलाया मेरे दिल मे तीर

 

तसवीर में तूम मुस्कुराती हो

मेरे दी में आग लगती हो

क्यो कुदरत ने सवांरा है

तुम सबसे मुझको प्यारा है

तू जो मुझको दिख जाती है

मेरे दिल मे तीर सी लग जाती हैं

 

न देखूं जो तुझको बेचैनी होने लगती हैं

राह तकू मैं तेरा,तेरी एक झलक पाने को

पास मेरे तू आकर,आज इशारा दी है

नजर झुक कर उसने,फिर से इशारा की है

उसने इशारा करके दिल में चलाई तीर

तुमने भेंजी है जो अपनी तसवीर

जैसे चलाया हो मेरे दिल में तीर

 

तसवीर तुम्हारी मैं हर पल देखा करता हूं

छुपकर चुपके से तेरे ओंठो को चूमा करता हूं

इस लगता है कि तूने भी मुझको चूमा है

मुझे तो तू अपनी तसवीर में मिल जाती है

तुमने भेजी है जो अपनी तसवीर

जैसे चलाया मेरे दिल मर तीर

 

           


 



  दरिंदगी

एक वीडियो मेरे व्हाट्सएप में आया,

देखकर मेरी रूह कांप गई,

दरिंदे ने अपनी पत्नी को बेल्ट से मारा,

बोला गंगा घाट पर कसम खाई थी तूने,

बिना मुझसे पूंछे तू घर से न  निकलेगी,

ओ औरत रो रो कर माफी मांगती है,

गलती हो गई बिना पूंछे बाजार नही जाऊँगी,

लात घूसे फिर भी मार रहा है,

हाँथ और शरीर में पड़ गए काले फफोले,

रो रो कर उसका बुरा हाल था,

छोटा बेटा यह देख रहा है,

उस बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ेगा,

उसे इस का कोई मलाल नहीं है

बोल रहा है कपड़े उतार नही तो और मारूँगा,

जिसके साथ जिंदगी बिताने का वादा किया,

जिसके साथ रहने की सात कसमें खाई,

आज उसी को बेल्ट और डंडे से मार रहा है,

मेरा मानना ये है कि,

उस औरत से तुम्हारी पटती नहीं हो,

या उसका नेचर सही न हो,

उस को समझना है,

फिर न माने तो तू अपने रास्ते मैं अपने रास्ते,

मारपीट करना एक दरिंदगी हुई,

यह हमारे देश के कानून में अपराध है,

किसी दरिन्दे ने वीडियो बनाया है,

और लिखा कि हर जगह भेजो,

जिससे उस औरत का पति पकड़ जाए,

वह भी तो पुलिस को खबर दे सकता था,

कुछ नहीं तो सौ नम्बर में फोन कर सकता था,

सबसे बड़ा अपराधी वीडियो बनाने वाला है,

पहले उसे पकड़ना चाहिए,

कानून के हाँथो में उसे जकड़ना चाहिए,

दोनों दरिन्दे को सजा देना चाहिए,।।

 

                  


 






   जो नसीब में था नही

 

जो नसीब में था नही वो कैसे मैं पाऊंगा 

याचक बन कर माँगू तुमसे,

मन को तसल्ली दे पाऊंगा 

कितने लोग आते हैं दर पे तेरे,

जो तुमने लिखा है वही मिल पाता है

फिर भी हर कोई तेरे दर में आता है

उसे फिर भी आस लगाए तुम्हारे दर पे

मैं बार बार आऊंगा।।

मैं मशहूर होना चाहता हूँ नाम तुम्हारा लेकर

मुझे मशहूर कर दो एक बरदान देकर

ऐसा मेरा फिर लिख दो 

जीवन मेरा सवर जाए 

तेरे दर पे मैं आता हूं

किस्मत मेरी बदल जाये 

जो नसीब में था नही वो कैसे मैं पाऊंगा 

याचक बन कर माँगू तुमसे 

मन को तसल्ली दे पाऊंगा

जो नसीब में था नहीं वो कैसे मैं पाऊंगा

 

                    


 





     गणतंत्र दिवस

 

26 जनवरी को हम राष्ट्रीय पर्व मानते हैं

हम भारतवासी है तिरंगे के नीचे शीश झुकाते है

हम हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई कोई धर्म अपनाते हैं

सबसे पहले हम सब भारतवासी कहलाते हैं

 गर्व हमें है इस मिट्टी पर जिसमें हमने जन्म लिया

गर्व हमें उन वीरो पर जिसने इस पर वलिदान दिया

याद उन्हें हम करते है जो ये दिन लेकर आये

आज हमें मिल पाया है अपने तिरंगे के साये

अंग्रेजी कानून हटाया अपना संविधान बनाया है

गणतंत्र दिवस उन महापरुषो की याद दिलाया है

26 जनवरी को हम राष्ट्रीय पर्व मानते हैं

हम भारतवासी है तिरंगे के नीचे शीश झुकाते है

 

                

 

                      


 





   तेरी मदमस्त आँखों मे

 

तेरी मदमस्त आँखो में खोने को दिल करता है,

उसकी चढ़ती जवानी को छूने का दिल करता है,

मुझे ऐसा लगता हैं कि उसके जुल्फों के साये को,

अपना घर बनाने को मेरा ये दिल मचलता है,

      

मुझे उसका सहारा मिल जाये तो फिर क्या,

डूबती  कस्ती को किनारा मिल जाये फिर क्या,

मैं तो जीने की आशाएँ छोड़ चुका था

मुझे तेरा सहारा मिल जाये तो फिर क्या,

 

कही कोई मुकद्दर की तसवीर लिखता है

प्यार करने वालों की तकदीर लिखता है

   मेरी तकदीर में तू हो अगर

   मेरे जीवन मे तुझको मेरी जागीर लिखता है



           


 



   बेटी का खत

 

बेटी ने खत लिखा माँ को

नैन मेरे तरसते है आप से मिलने को

तड़पती हू गाँव की गलियों को देखने को

सखी सहेलियों सँग मेहदी लगाने को

मेरी स्वतंत्रता तो छीन चुकी हैं

इस लिए तड़पती रहती हूँ

बेटी ने खत लिखा माँ को

आपके आँचल की छांव में मुझे कोई तकलीफ नहीं हुईं

आपके ममता ने मुझे कोई काम नहीं करने दिया

आज पल भर मुझे आराम नही

फिर सोचती हूँ कि मेरा बचपन फिर मिल जाता

इस लिए तड़पती रहती हूं

बेटी ने खत लिखा मां को

माँ मुझे आराम चाहिए मुझे बुलालो अपने पास

कुछ दिन भाभियों सहेलियों सँग हँसना चाहती हूँ

तुम्हारे आँचल में फिर से सोना चाहती हूँ

अमरूद के बागों में फिर अमरूद तोड़ना चाहती हूँ

बेटी ने खत लिखा माँ को

सावन के झूलो में झूलना चाहती हूँ

सखियों सँग गीत गाना चाहती हूँ

स्वतंत्र होकर उड़ना चाहती हूँ

कुछ दिन अपने पास बुलालो

कुछ दिन आराम करना चाहतीं हो

बेटी ने खत लिखा माँ को

 

                        


  



    बादल छाये

 

बादल छाये हुआ अंधकार

बिजली कड़की हुआ चमत्कार

मयूर प्याहु प्याहु करने लगे

चिड़िया आकाश को छोड़ जमी उतरने लगी

पेड़ रह रह कर हिलने लगे

बादल दौड़ते रहे कभी यहाँ तो कभी वहाँ

पानी को ले कर आते रहे

मोर पंख फैलाकर नाचने लगे

बादल खुश होकर बारिश करने लगे

चिड़िया स्नान करने लगी

फसलें लहलहाने लगी

पेड़ पानी पाकर मुस्कुराने लगे

किसान खेतो में पानी जमा करने लगे

खुशिया लेकर बारिश आती है

जब बादल छाये

मेढ़क टर्र टर्र करने लगे

बादल गरजने लगे

टिड्डे नभ में मड़राने लगे

   पशु पक्षियों दौड़ लगाने लगे

   जब बादल छाये

 

                           

 







बेटी का खत-भाग 2

 बेटी ने खत लिखा बापू को

बापू आपकी लाडली बेटी

आपसे मिलने को तड़पती रही है

अपने दिन रात मेहनत कर के

दहेज जमा कर मेरी शादी धूमधाम से की है

अपने मेरे लिए कोई कसर नहीं छोड़ा

घर और वर दोनों अच्छा ढूडा मेरे लिए

बेटी ने खत लिखा बापू को

ससुराल वाले मेरे लालची निकले

सास रोज ताना देती है

ससुर रोज उलाहना देते हैं

दहेज कम दिया है तुम्हारे पिता ने

ननद सहेली बन गयी हैं

पति भी नाराज रहते थे

लेकिन अब मेरा साथ देते है

बेटी ने खत लिखा बापू को

आपने जो मुझे संस्कार दिये हैं

मैं उनकी लाज रखूंगी

कुछ दिन में सास ससुर को भी अपना बना लुंगी

बेटी ने खत लिखा बापू को

बापू आपकी लाडली बेटी

आपसे मिलने को तरसती हूँ











मेरे मन के आँगन में

 

मेरे मन के आँगन में तुम रोज सबेरे आते हो

मेरे दिल की धड़कन को छू कर यह एहसास दिलाते हो

तुम्हारे बिना मेरी जिंदगी जैसे अधूरी हो

तुम जो मेरी जिंदगी  में आ जाओ मेरी जिंदगी सँवार जाते हो

 

तुम्हें अपनी किस्मत का कोहिनूर कहूँ मैं

तुम इतनी सुंदर हो कि तुम्हें हूर कहूँ मैं

तुम मेरी हो जाओ तो मेरी किस्मत चमक जाये

और तुम्हारे चमकते हुए चेहरे का नूर कहूँ मैं

 

तुमसे एक पल दूर रहने का अहसास डरता है

कैसे रह पाऊंगा तुम्हारे बिना यह अहसास मुझे सताता है

यारो प्यार में दूरियां होती नही है

दूरियों से जो डर जाये वो प्यार नहीं कहलाता है

 

               

                         


 



     सुबह हो गई

 

सुबह होने को आई,

मुर्गे ने बांक दिया,

चिड़िया चहचहाने लगी,

पेड़ हिलकर नाचने लगे,

ठंडी हवाएं चलने लगी,

सुबह होने को आई।।

फसलों में ओस थी,

कालिया मुस्कराने लगे,

भवँर गुनगुने लगे,

फूलों में मड़राने लगे,

पंक्षी आकाश में उड़ चले,

दाने की खोज में,

सुबह होने को आई।।

सूरज की लालिमा आयी,

किरणे बिखरने लगी,

अंधकार खोने लगा,

ओस की बूंद टपकने लगी,

सुबह होने को आई किसान काम मे जाने लगे,

कंधों में हल लिए, बैलों की जोड़ी सँग,

औरतें निकल पड़ी,

सिर पर पानी का घड़ा,

कमर में खाना लिए,

सुबह होने को आईं।।

बच्चे चहल करने लगे,

स्कूल जाने की पहल करने लगे,

कन्धों में स्कूल बैग लिए,

माँ बाप को प्रणाम किये,

सुबह हो गई,

 

                 

 







शहीदों को भुलाया नहीं जा सकता

फूलों को माला में पिरोया जाता है

मोतियों को भी माला को सँजोया जाता है

देश पे मरने वाले शहीदों को

फूलो की माला और तिरंगे से सजाया जाता है

 

सूरज की रोशनी को मिटाया नही जा सकता

समंदर के पानी को घटाया नही जा सकता

देश मे जान निछावर करने वाले

शहीदों की कुर्बानी को भुलाया नही जाता

 

जिस तरह अपने  देश को हम भूल नहीं सकते

सरहद में जो पहरेदार है उन्हें हम भूल नही सकते

जिन्होंने देश का नाम गौरवान्वित किया है

उन शहीदों को भी  भूल नहीं सकते

 

हर देश की सेना देश के लिए जीती है

अपनी खुशियां और परिवार को त्याग कर

निछावर कर देते हैं अपने प्राण

खुशी से देश के सरहदों पर

उन शहीदों को भुलाया नहीं जा सकता


 







  मैं कभी आशिक न था

 

मैं कभी आशिक़ न था

      आशिक़ बनाया आपने

मेरा दिल सिर्फ आपसे बातें करता था

दिल की धड़कन जगाया आपने

मुझे सिर्फ अपनी फिक्र थीं

आज तुम्हारी होती हैं

मुझ पर जादू चलाया आपने

उस दिन जब तुमने मुझसे इजहार किया

मेरा खाना पीना सोना सब छीन लिया

मेरी बेचैनी को जगाया आपने

मैं तुम्हें कुछ और मानता था

कुछ और मनाया आपने

अब कहती हो तुम खुश रहना

मुझसे अब न बातें करना

मेरी खुशियाँ छीना आपने

मैं कभी तुम्हें याद भी नही करता था

मेरी यादें जगाया आपने

मैं पहले गुमनाम सा था

मुझे मसहूर बनाया आपने

मैं तुमको फोन न करता था

पहले फोन लगाया आपने


 

 






तुम गंगा जल सी पावन हो

 

तुम गंगा जल सी पावन हो

तुम जमुना जल सी मनभावन हो

तुम सबसे मुझको प्यारी हो

तुम मेरे इश्क की एक बीमारी हो

 

तुम चाँद से सुंदर लगती हो

तुम सूरज सा चमकती हो

तुमको न मैं पाना चाहूं

फिर भी तुम मुझको ही मिलती हो

 

   तुम ख्वाब बानी मेरी नींदों में

तुम चैन मेरा तो छीना है

तुम पलको में मेरी आती हो

तुमने छीना मेरे जीना है

 

भेजी तुमने तसवीर जो अपनी

दिल में चुभन कर जाती है

हर पल मेरे  सामने

तसवीर तुम्हारी ही आती हैं

 

मैं क्या करूँ मुझे ये पता नहीं

मैं क्या सोचूँ मुझे ये पता नहीं

मैं तुमको भुलाऊँ मुझे पता नही

ये प्यार है क्या मुझे पता नहीं

 

तुम पर कोई दाग न लग जाये

तुम पर कोई आँच न आ जाये

ये सोच के मैं फिर डरता हूँ

इजहार करू जो मैं तुमसे

कहि तू मुझसे रूठ न जाये



             


 





जीवन जीने की सबको आशा है

 

जीवन जीने की सबको आशा है

जीवन की ये एक परिभाषा है

कोई दुख को सहता है

कोई सुख में रहता है

सुख पाने की सबको आशा है

जीवन की ये परिभाषा है

 

कोई रोना न चाहे जीवन में

मेहनत न करना चाहे जीवन में

खुशहाली पाने की सबको आशा है

जीवन की ये परिभाषा है

 

पढ़ लिख कर इंसान बने

कुछ पढ़े लिखे हैवान बने

इंसान न कोई बनना चाहे

इंसानियत को अपनाने की सबको आशा हैं

जीवन की ये परिभाषा है

 

अच्छाई बुराई दो पहलू है जीवन के

बुरा तो हर कोई होता है

अच्छाई कोई कोई अपनाता है

जीवन की ये परिभाषा है

 

जाति धर्म अपवाद बन गया

लड़ाई दंगों का घर बन गया

मेरा धर्म सबसे बड़ा है ये सबको आशा है

जीवन की ये परिभाषा है

 

   

 

           


 

 





मुझको जैसा महसूस हुआ

मैंने अपने अन्तर्मन के बोलो को,जब शब्दों में  लिख डाला

वो मेरी कविता बन बैठी,मैं उसका लिखने वाला

ऊँच नीच और भले बुरे का जो मुझको पहचान हुई

जो जैसा मुझको महसूस हुआ,उसको वैसा लिख डाला

 

दुख सुख और अमीरी गरीबी को ,मैंने आँखो से देखा है

सुख दुख साथ नही रह सकते, एक आता दूजा है जाता

अमीर गरीब को नौकर है माने ये है सबकी अभिलाषा

मुझको जैसा महसूस हुआ, उसको मैंने लिख डाला

 

मैं देख रहा हूँ किसानों की दुर्गति बढ़ती जाती है

राजनीति के मालिक की,किस्मत संवरती जाती है

सब अपनी अपनी देख रहे,किसानों को न कोई देखने वाला

मुझको जैसा महसूस हुआ, उसको मैंने वैसा लिख डाला

 

धन दौलत में भाई भाई आपस मे लड़ जाते हैं

न धन दौलत ले जायेगे सँग में अपने

ले जाएंगे सँग में अपने अच्छाई और भाई चारा

मुझको जैसा महसूस हुआ, उसको मैंने लिख डाला

 

दारू पीकर गिरते पड़ते,कभी लड़खड़ा जाते हैं

कभी मारपीट करते ,कभी गली बकते रह जाते हैं

न दारू जाऐगी सँग में उनके,न दारू की प्यारी प्याला

मुझको जैसा महसूस हुआ, उसको मैंने लिख डाला

 

             

                 


 




    पानी की टंकी

 

 ईंटे बालू सीमेंट सरिया,तिनका तिनका जोड़कर

पानी की टँकी बनाया मजदूरो ने मिलकर

कई दिनों तक साँचा डाला फिर बनाया खंभे

ऊँचे ऊँचे खंभे को  फिर जोड़ा आपस में

मेहनत करते दिन दिन भर मजदूर

कभी ऊपर चढ़ते कभी नीचे उतरते

जान जोखिम में डाल बनाया पानी टंकी

साँचा बनाया लिंटर डाला फिर सुखाया

फिर उसके ऊपर काम सुरु किया

कितने दिन और कितने लोगों की मेहनत

मिल बनाया पानी टँकी

दूर दराज गाँवो तक फिर बिछाया पाइप

हर घर को पानी मिले, सबमें खुशियां छाई

मंत्री जी आये रिबन काटने

सब लोगों मे खुशियां छाई

घर घर मे पानी जा पहुंचा

सबने खुशीयां मनाई



                       


 

 



तुझे बदनाम करूँ

 

तुझे बदनाम करू ऐसा खयाल आता है

फिर सोचकर ऐसा मेरा दिल तड़प जाता है

तुझे बदनाम करु

क्यू मेरे दिल मे ऐसी चाह जगी

ये मुझे समझ मे नही आता हैं

तुझे बदनाम करू ऐसा खयाल आता है

फिर सोचकर ऐसा मेरा दिल तड़प जाता हैं

तुझे बदनाम करू

तेरी बेवफाई ने ऐसी उम्मीद जगाई है

तुजे बदनाम करू तो मेरे प्यार की रुसवाई है

तुझे बदनाम करू ऐसा खयाल आता है

फिर सोचकर इस मेरा दिल तड़प जाता है

तुझे बदनाम करू

मैंने तो तुझे दिल से यार चाहा था

पर क्या कमी दिखी तुझे जो मुझे छोड़ दिया

तुझे बदनाम करू इस खयाल आता है

फिर सोचकर मेरा दिल तड़प जाता हैं

तुझे बदनाम करू

इस मैं काम करू तेरी जग हसाई हो

तेरे बारे ने कहूँ जिससे तेरी रुसवाई हो

फिर सोच कर दिल तड़प जाता हैं

तुझे बदनाम करू

 










इश्क

 

इश्क क्या करें हम,कोई मिला नही

देख जिसे मेरे दिल का कमल खिले,ऐसा मिला नही

इश्क क्या करें हम,कोई मिली नही

 

देखा बहुत लड़कियों को जिससे दिल लगा लू

कोशिश बहुत की है कोई पटी नहीं

इश्क क्या करें हम,कोई मिली नही

 

हमे जो कोई चाहे ऐसी मिली नहीं

हमने जिसे चाहा कही और चली गईं

इश्क क्या करें हम,कोई मिली नही

 

दिल खूबसूरत लड़की चाहता है

मेरी किस्मत में कोई लिखी नही

इश्क क्या करें हम,कोई मिलीनही

 

किसी की आँखों मे डूबने को दिल चाहता है

कोई नीली नैनो वाली हमकों मिली नहीं

इश्क क्या करें हम,कोई मिली नही



                

 








मैं भ्रम में था

 

मैं भ्रम में था,वो मुझे चाहती हैं

उस नारी की माया जाल में फंसता चला गया

मुझे मालूम था कुछ गलत हो रहा है

फिर भी उसकी सुंदरता में मैं डूबता चला गया

मैं भ्रम में था,वो मुझे चाहती हैं

उस नारी की माया जल में फंसता चला गया

 

उसकी जुल्फ के साये ने मुझको जकड़ लिया

उसकी चंचल निग़ाहों ने मुझको पकड़ लिया

उसकी हर एक अदा मुझको पागल बना दिया

मैं भ्रम में था,वो मुझे चाहती है

उस नारी की माया जाल में फंसता चला गया

 

अपनी मीठी बोली से मुझको फंसा लिया

अपना क़ातिल नजरों से अपना दीवाना बना लिया

जब पास बुलाया उसने मुझको मैं हँसता चला गया

मैं भ्रम में था,वो मुझे चाहती है

उस नारी की माया जाल में फंसता चला गया

 

हर नारी की आंखों में एक प्यारा जादू है

आँखो से कर के इशारा जादू दिखा गयी

ऐसा पासा फेका की मैं फसता चला गया

मैं भ्रम में था,वो मुझे चाहती है

उस नारी की माया जल में फंसता चला गया

 

उसकी नीली आँखो में मुझे पानी दिखता हैं

उसकी हर बातों में नादानी दिखती हैं

उसने अपने भोलेपन में मैं फँसता चला गया

मैं भ्रम में था,वो मुझे चाहती है

उस नारी की माया जल में फंसता चला गया

 

             

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नीरस जीवन

 

नीरस जीवन की गाथा को प्यार का रस मिल जाये

प्रेम कहानी जीवन की अमर प्रेम बन जाये

छुप छुप मिलना बातें करना ये है प्रेम कहानी

एक तोता एक मैना की है यही जिंदगानी

नीरस जीवन जीता था मैं होकर अनजान

जीवन का आनन्द मिला जब मिला मुझे सम्मान

ऐसा जीवन क्या जीना जिसमें कोई पहचान न हो

कर जाओ तुम ऐसा काम हर जगह तुम्हें सम्मान मिले

जीवन जीने में मजा तभी,जब सुंदर बाला साथ मे हो

घर ग्रहथी खुशहाल चले तो जीवन में आनन्द मिले

लोग हजारों जीते हैं,उनकी कोई पहचान नहीं

प्यार जो तुमको मिल जाये, सारा जग पहचान गया

नीरस जीवन की गाथा को प्यार का रस मिल जाये

प्रेम कहानी जीवन की अमर प्रेम बन जाये

 

       


 





वक़्त

 

वक्त आता हैं

वक्त जाता है

वक्त सम्भलता है

वक्त गिराता हैं।

वक्त सबसे बलवान है

वक्त सबसे महान है

वक्त की जो माँग हैं

वैसे ही ढल जाइये

वक्त अपने आप निकल जायेगा

वक्त गयी तो बात गयी

सिर्फ कहावतें राह जाएंगी

 

        


 

अभिनन्दन

 

नभ का शीना चीर रहे जो

अभिनन्दन कहलाहते है

दुश्मन के लड़ाकू विमानों को

जो मार गिरते हैं

अभिनन्दन कहलाहते हैं

दुश्मन की धरती से  जो

वापस आ जाते हैं

अभिनन्दन कहलाहते है

जिनके खातिर देश पूरा

गम में डूब गया था

मन्दिर मस्तिष्क गुरुद्वारे में

सलामत की दुआ लगी थी

अभिनन्दन कहलाहते है

जिसने देश के खातिर

अपने कागजात निगल लिए थे

बचे कगजतो को

फिर भी नस्ट किये थे

अभिनन्दन कहलाहते है

पूरा देश जिसके आगे नतमस्तक है

अभिनन्दन कहलाते हैं

 

        







पेड़

सोच समझ का माली

काट रहा है जीवन

बेजुबान बेसमझ व्रक्ष

बाट रहे हैं जीवन

धूप है सहते ठण्ड हैं सहते

एक जगह पर स्थिर रहते

फिर भी न आये गलत बिचार

तूफानों से लड़कर

बारिस भी लाते हैं

मानव जीवन को हर बार बचाते हैं

मानव फिर भी इन पर चला रहा है आरी

रोकर हँसकर सह लेते हैं वार कुल्हाड़ी का

गर्मी आते ही कहते हम

व्रक्ष चला दो ठण्डी हवा

बीमारी की भी देते हमको दवा

भूख लगी तो हम फल भी का लेते हैं

प्यास लगे तो हम नारियल पानी पीते हैं

व्रक्ष को हम पानी भी न देते हैं

फिर भी न कोई शिकायत

न करते दुर्ब्यौहार

यही तो है व्रक्ष का बड़कपन

व्रक्ष लेते हैं पर्यावरण सुरक्षित का भार

हम काट रहे हैं उनको,जो हैं जीवन का आधार












गर्मी

 

गर्मी आयी बेचैनी लायी

मकच्छरो ने किया बुराहाल

हुई घमोडी खुजली छायी

पसीने से हुआ बदन तर

मकच्छर काट रहे रात भर

पंखे की हवा भी नही भाती है

बिजली काट कर अब आती हैं

सुबह से ही धूप गर्म लगती है

कपड़े कम पहने तो शर्म लगती है

दिन में लू बहुत चलती है

रात मे पत्ते भी नही हिलते हैं

गर्मी में मकच्छर दानी लगाना जरूरी है

सावधानी न बरतें तो बीमारियों का आना भी जरूरी है

दाद खाज खुजली और घमोडीयाँ होने लगती है

दोपहर में धरती भी जलने लगती हैं

पानी की प्यास बढ़ जाती है

बर्फ कुल्फी आइसक्रीम  याद आती हैं

गर्मी से बचना बहुत जरूरी हैं

लस्सी पुदीना ठंठा पानी पीना बहुत जरूरी है



             







         

देसी ठेका

 भोर हुआ खुल गया देसी ठेका

रह रह कर लोग आने लगे

न मैं था गरीब न तू था अमीर

पीने वाले लोग पीने आने लगे

मतभेद अमीरी का सब भूल गये

छोटी बोतल देशी की एक घुट में मार गये

कोई पानी सँग कोई नीट पी रहा

कोई चखना कोई मीट चख रहा

बैठे बाहर ठेके के,भू तल पर

बना रहे है पैक सब मिल कर

कुछ बाते आपस मे करते हैं कुछ दीवारों से

कोई सुध में रहता है कोई बेसुध नाले में

कोई अपनो को गाली देता है कोई बेगानो को

कोई राह चलते लड़ जाता है खुद को यार संभलो

देसी पीने वाले को उसका सुख है मालूम

लेकिन दारू से कितने घर टूट जाते हैं ये सबको है मालूम

मैं यही कहूंगा पीने वालों से दारू से दूर रहे

पीते भी है तो कम पिये जिससे सेहत सही रहे

 

                 


 

 




वक़्त 2

 

वक़्त की दरकार देखिए

वक्त की पुकार देखिए

वक़्त चाहता है क्या हमसे

वैसे तुम ढल कर देखिए

 

वक़्त कभी ठुहरता है

वक़्त कभी अपनाता है

जैसा वक्त आये

वक़्त को अपना कर देखिए

 

वक़्त एक बार ही आता हैं

वक़्त एक बार ही जाता हैं

फिर नहीं मिलेगा ऐसा वक़्त

वक़्त मिला कर देखिए

 

        


 







कविता क्या होती है

कविता  क्या होती है

अपने मन की भाषा

कलम उठाया और लिखा जो

जीवन की अभिलाषा

सोच समझ कर जीवन को जो

कागज मे उतार दिया

सबसे ऊपर उठ कर उसने

औरों को सीख दिया

बैठ अकेले लिखता है वो

जीवन की  एक कविता

जीवन के ऊंच नीच का मदभेद मिटा देता है

सच्ची कविता जो लिखता है सोच बदल देता है

 

          


 




तम्बाकू

 

 

तम्बाकू मत खाओ दोस्तों तम्बाकू

हथेली में ले कर,चुना मिलाकर

रगड़ रगड़ कर थपकी मारकर

मुँह में न डालो दोस्तों तम्बाकू

तम्बाकू मत खाओ दोस्तों तम्बाकू

 

तम्बाकू का नशा, सबसे बुरा नशा है

मुँह के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है

मुँह सड़ जाता है बदबू आने लगती है

तम्बाकू मत खाओ दोस्तों तम्बाकू

 

तम्बाकू लगती कड़वी है

चुना मसूड़े काटता है

दाँत हिलने लगेगें दोस्तो

तम्बाकू मत खाओ दोस्तों तम्बाकू

 

तम्बाकू खाकर समाज मे बात नही कर सकते

बार बार पीक थूकना पड़ता है

तम्बाकू खाने को मेरी यह नसीहत है

तम्बाकू को खाना दो छोड़

 

तम्बाकू के पैकेट में लिखा होता है

तम्बाकू सेहत के लिए हानिकारक है

आँखों की रोशनी कम हो जाती है

ज्यादा खाने वाले को नींद काम आती हैं

तम्बाकू मत खाओ दोस्तों तम्बाकू

 

       












रोते पेड़

 

रोते हुए पेड़ ने कहा

मैं कटने के डर से नही रो रहा हूँ। 

रो रहा हूँ मै मनुष्य की बर्बरता से

डर रहा हूँ मैं कैसे जिएगा मनुष्य हमारे बिना।

रो रहा हूँ मैं इसलिए

जिसे मैंने छाँव दी 

जिसे हमने फल दिया 

जिसे हमने शुद्ध हवा दिया 

वही मनुष्य हमें काट दिया 

रो रहा हूँ मै इसलिए

जिसके लिए हमने धूप सही 

जिसके लिये हम तूफ़ान सहे 

जिसके लिए हम वर्षा लाये 

वही मनुष्य हमें काट रहे

रो रहा हूँ मैं इसलिए

मनुष्य अपनी मनमानी से जंगल रहा हैं काट 

जिससे पेड़ पौधें हो रहे हैं समाप्त 

ये देखकर मेरा मन रो रहा हैं 

विनती हैं मेरी मनुष्य से

काटो हमे दुख नही 

अपने लिये हमें बचाओ 

एक पेड़ काटो तो दस पेड़ लगाओ 

जंगल और जीवों को बचाओ 

तभी मैं हसूंगा

वरना रोता रहूंगा

         

 

     








पुराना साल नया साल

 

 पुराने साल को बिदाई

नये साल को बधाई

पुराना साल बीत गया

जो बीता अच्छा बीता

पुराने साल की पार्टी करेगें 

पुराने साल को बिदाई

नये साल को बधाई

नए साल का आगाज़ करेगे

नये साल के आने में भी पार्टी करेंगे 

नये साल की बधाई देगे

नया साल खुशियों संग आता रहे

पुराने साल की बिदाई 

नए साल को बधाई 

दोस्तों संग मौज करेगें 

सबको हैप्पी न्यू ईयर कहेगें 

पुराने साल को बिदाई 

नए साल को बधाई

 

                 







 

नन्ही बिटिया रानी

 

छोटे-छोटे पैरों से चल कर

पूरे घर मे सैर कर आती है।। 

उंगली मेरी वो पकड़ कर

पापा कहकर बुलाती है।। 

वो नन्ही बिटिया रानी मेरी

सबको खूब हँसाती है।। 

निश्छल होकर बातें करती

वो जग से अनजानी है।। 

निर्भय होकर खेला करती

जैसे यहीं सयानी है।। 

वो नन्ही बिटिया रानी मेरी

सबको खूब हँसाती है।। 

वो बातें ऐसे है करती

जैसे वही सायानी है।। 

उसके पैरों की आहट से

मेरे मन को आराम मिला।। 

उसकी मुख से पापा सुनकर

मेरे जीवन को सम्मान मिला।। 

वो नन्ही बिटिया रानी मेरी

सबको खूब हँसाती हैं।। 

वो चंचल सुहृदय सी बाला

तितली सग खेला करती है।। 

नन्हे-नन्हे हाँथो से वो

चिड़ियों को दाना देती है।। 

वो नन्ही बिटिया रानी मेरी

सबको खूब हँसती है।।

 










          


क्या मैं बोलूं

मैं क्या बोलूं

क्या न बोलूं

मुझे समझ नहीं आता है।। 

किस पर बोलूं

किन पर बोलूं

सबसे अपना नाता हैं।। 

हिंदू पर बोलूं तो पंगा होवे

मुस्लिम पर बोलूं तो दंगा हीवे।। 

मैं क्या बोलूं

क्या न बोलूं

नेता पर बोलूं, अभिनेता पर बोलूं।। 

राजनीति बन जाती हैं।। 

राम पर बोलूं रहीम पर बोलूं

धर्म मुझे डराता हैं।। 

मन्दिर जाऊ मस्जिद जाऊ

सभी मुझको भाते हैं।। 

मै क्या बोलूं

क्या न बोलूं

मुझे समझ नही आता हैं।। 

बेटा पर बोलूं, बेटी पर बोलूं

उनसे सबका नाता हैं।। 

दोस्त पर बोलू दुश्मन पर बोलूं।। 

मुझको डर लग जाता है।। 

मैं क्या बोलूं

क्या न बोलूं

मुझे समझ नहीं आता है।। 

पशुओं पर बोलूं इंसानो पर बोलू।। 

इंसानियत सब सिखलाता है।। 

बलात्कारी पर बोलूं,दुराचारी पर बोलूं।। 

ऐसा पाप न कोई करता है।। 

कुछ मैं बोलूं

क्या न बोलूं

मुझे समझ नहीं आता हैं।।             

 

                           



































लाचार

 

कड़क धूप में निकल पड़ा वो बिन पग जूते कुछ पैसा और कामने को

नन्हा बालक माँग रहा दे दो साहब कुछ रुपये भूख मिटाने को

तन दुर्बल हैं मन मे आशाएं हैं लेकिन वह लाचार हैं

उसे जरूरत पैसो की उसकी माँ बहुत बीमार हैं

एक सहारा माँ थी उसकी आज सहारा बनेगा वो

माँ के खातिर माँग रहा वो लगा है पैसा जुटाने को

कड़क धूप में निकल पड़ावो बिन पग जूते कुछ और कमाने को

 

तप रही हैं धरती लेकिन उसके पाँव जले नही

निकल पड़ा जिस राह में वो उसके पाँव रुके नही

सोच रहा मेहनत करके कुछ पैसा कमाऊंगा

माँ की दवाई लेकर चैन से फिर सो जाऊँगा

मेहनत के दो सौ रुपये, उसने देखा अपनी उस कमाई को

कड़क धूप में निकल पड़ा वो बिन पग जूते कुछ पैसा और कमाने को

 

भूख से उसका पेट दब रहा पानी पीकर चैन लिया

लालच थी कुछ खाने की पर उसने रहने दिया

मन मुरझाया तन कमजोर पेट ने फिर दर्द किया

लेकिन सोचा जो पैसे से कुछ खाऊंगा उसको रहा बचाने को

कड़क धूप में निकल पड़ा वो बिन पग जूते कुछ पैसा और कमाने को

 

पैसा पैसा जोड़ कर उसने माँ का इलाज किया

मां के खातिर नन्हा बालक क्या क्या काम किया

माँ जब ठीक हुई उसकी तो खुशी दिखा चेहरे में

कोई कसर न छोड़ा था माँ का इलाज कराने में

कड़क धूप में निकल पड़ा वो बिन पग जूते कुछ पैसा और कमाने को

 

                                                    













 कुर्सी

 

कुर्सी बड़ी शातिर है

क्या क्या चाल चलाती है

कुर्सी के खातिर अपनो से लड़ती है

बेजुबान होकर भी क्या खेल दिखाती है

कुर्सी पाने के खातिर नेता राजनीति करते हैं

वादे कई करते हैं कुर्सी पाकर भूल जाते है

कुर्सी पाकर अपनो को भी ठुकराते है

कुर्सी बड़ी शातिर है

क्या क्या चाल चलाती है

कुर्सी एक ताकत है

नेताओं को गद्दार बनाती है

कुर्सी के खातिर मांग रहे हैं वोट

कुर्सी मिलजाये तो छाप रहे है नोट

कुर्सी की करामात देखिए

जनता को धोखा देती है

राजनीति की कुर्सी देश भक्ति हर लेती है



           


 

कठिन परिश्रम

 

कठिन परिश्रम करना होगा,काँटो पर चलना होगा

छाँव से बाहर आकर,धूप में फिर जलना होगा

 

इज्जत की रोटी खाना है तो,मेहनत भी करना होगा

ईमानदार बनना है तो,सच्चाई पर चलना होगा

कठिन परिश्रम करना होगा,काँटो पर चलना होगा

 

मंजिल पाने की चाह हुई तो,कदम बढ़ाते रहना होगा

अगर तरक्की करनी है तो,जी भर कर पढ़ना होगा

कठिन परिश्रम करना होगा,काँटो पर चलना होगा

 

लालच बुरी बला है उसको हमको त्यागना होगा

मेहनत से जो मिलता जाए उसको ही अपनाना होगा

कठिन परिश्रम करना होगा,काँटो पर चलना होगा

 

                                          


 

होली आ गयी

 

फागुन आया है होली बुला रही है

भाभियाँ बुला रही है होली आ गयी है

कोई फोन कर रही है कोई संदेश दे रही है

होली में आओगे रंग गुलाल लगाओ गे

होली आ गयी है होली बुला रही है

 

साली बुला रही है सरहज बुला रही है

मस्त मलंगे यारो की टोली बुला रही है

रंग बुला रहे हैं रंगोली बुला रही है

होली आ गयी है  होली बुला रही हैं

 

होली जल गई है पकवान बन रहे है

मीठे मीठे पकवानों की सुगंध आ रही है

रंग लग रहे हैं गुलाल लग रहे है

होली आ गयी है होली बुला रही है

 

धूल उड़ा रहे हैं फगुआ गा रहे हैं

भाँग बन रही है भाँग छन रही है

मस्त मलंगे नाच गा रहे है

पकवान खा रहे है त्योहार मना रहे है

होली आ गयी है होली बुला रही है

 

पिचकारियां चल रही है रंग डाल रहे है

चेहरे रंग गये है कपड़े रंग गये है

भाभियों से रंग खेल रहे है

दोस्तों सँग मस्तियाँ कर रहे है

होली आ गयी है होली बुला रही है

    

 

             


 

कुर्सी की करामात

 

कुर्सी की करामत देखिए

इसकी औकात देखिए

न कोई इसका जाति धर्म है

न कोई असली मालिक

पाँच साल अपनाती है फिर  दुत्कार है देती

पावर तो रहती है लेकिन सत्ता छीन लेती

कुर्सी की करामात देखिए

इसकी औकात देखिए

कुर्सी के खातिर रोज पार्टियाँ बनती है

गठबंधन भी होता है बन्धन भी होता है

झूठे वादों का खंडन भी होता है

सत्ता के खातिर वोट माँगी जाती है

कुर्सी पाकर नेता बन जाते हैं

हम पे ही हुक्म चलाते हैं

कुर्सी की करामात देखिए

 

        


 

 

मारपीट

मारपीट क्यो होती हैं

 

मारपीट कोई हल नहीं

 

समझौता कर लेना चाहिए

 

हम इंसान हैं, समझदार हैं

 

हमें हिंसा मारपीट सोभा नहीं देता

 

जानवर तो लड़ते झगड़ते है

 

आपस मे प्यार भी करते हैं

 

इंसान इंसानियत को भुला दे तो इन्सान नहीं

 

मारपीट करे तो उस कोई हैवान नहीं

 

मारपीट के कारण बहुत है

 

उनसे बचना ही इंसानियत है

 

कोई गलती करे उसे समझाओ

 

यही तो इंसानियत है

 

उसको उकसाना हैवानियत है

 

मारपीट कोई हल नही

 

कुछ लोग नासमझ होते हैं

 

मारपीट और दूसरों से लड़ने में मजा आता है

 

उनसे उलझने की जरूरत ही क्या है

 

मारपीट कोई हल नहीं

 

 

 

 


 

 कुर्सी का है खेल निराला

 

कुर्सी का है खेल निराला

अपनों को बेगाना कर डाला

प्रतिद्वंद्वी से भी गठबंधन करते

रिस्ते नाते तोड़ डाला

कुर्सी का है खेल निराला

 

एक दूसरे  को नीचा दिखते हैं

जनता को बेवकूफ बनाते हैं

करते हैं लाखों का घोटाला

कुर्सी का है खेल निराला

 

राजनीति के खातिर दंगा होता है

कुर्सी के खातिर पंगा होता है

कुर्सी केलिए ईमान को भी बेच डाला

कुर्सी का है खेल निराला

 

         


 

मेरे देश में

 

ऐसा क्यों होता है मेरे देश मे

यहाँ हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई

कहलाते हैं सब भाई भाई

एक दूसरे की फिक्र करने वाले

दुश्मन कहलाते आपस मे

आतंकवाद बढ़ता जाता हैं

क्योंकि हममे फुटडालने वालो

की बातों को हम गंवारों की तरह मानते हैं

अपने ही भाईयों को दुश्मन की तरह मरते हैं

गर फौज न होगी तो दुश्मन हमारे मुल्क में घुस जाएंगे

जो आपको  अपना बोलते हैं आपको बहकते है

आपके अपनो की इज्ज़त को उड़ाये गे

जिस मिट्टी में जन्म लिया उसका कर्ज कैसे उतरे

गद्दार और देश द्रोही का दाग लग जाये

उसको हम कैसे मिटायें गे

अपने वतन से गद्दारी करके जो मिला कोई मुकाम

कोई काम का नही वो मुकाम 

जो वतन को बेचकर मिल 

 

                     


 

हे ईश्वर

 

हे ईश्वर हमें इंसान बना दो

छल कपट दुराचार मिटा दो

हे ईश्वर हमें इंसान बना दो

 

 

पाप हमसे हो न कभी

सब प्राणियों का सम्मान करें हम

बुराइयों से दूर रहे हम

ऐसा हमको ज्ञान दो

हे ईश्वर हमे इंसान बना दो

 

 

प्रकति का भी सम्मान करें

बड़ो का सत्कार करे

दीन दुखियों की सेवा में जीवन लगा दे

हे ईश्वर हमें इंसान बना दो

 

 

दुष्कर्म हमसे हो कभी न

कर्म हम हरदम करे

सत्मार्ग पर चलते रहे हम

है ईश्वर हमें इंसान बना दो

 

देश पर बलिदान हो जाये

देश की हम आन बचाये

धर्म जाती का कोई बंधन न होये

जिससे हम लड़ कर मरे

हे ईश्वर हमें इंसान बना दो

 

              

 


 

आलसी के चार का

 

आलसी के चार काम,

पहला काम आराम,

दूसरा  काम छोड़ यार,

तीसरा काम कल करेगें,

चौथा काम नाकाम,

आलसी के चार काम।।

आलस अलसी की सबसे बडी बिमारी ,

शूरू हो जाती हैं गढ्ढे मे गिरने की तैयारी,

आलस जो छोडेगा खुशियों से नाता जोडेगा,

               


 

मैं राह तके बैठा हूँ

 

 

मैं राह तके बैठा हूँ

तेरे एक दीदार को।। 

तू दरवाजा खोले

मुझे तेरी एक झलक मिल जाये।। 

मैं राह तके बैठा हूँ

तेरे एक दीदार को।। 

तेरा मेरे रहो पर निकलना,और मुस्कुरा देंना।। 

मेरे दिल की बुझती आग को फिर जला देना।। 

मैं राह तके बैठा हूँ

तेरे एक दीदार को।। 

तेरी खूबसूरत नजरो का है ये जादू।। 

तेरी नजर से जो मेरी नजर मिल जाये।। 

मै राह तके बैठा हूँ

तेरे एक दीदार को।। 

तू जो निकले मेरे सामने से।। 

तेरा रुककर मुझे इसारा देना।। 

मैं राह तके बैठा हूँ

तेरे एक दीदार को।। 

तेरी आँखों का ये काजल।। 

तेर पावों की खनकती पायल।। 

तेरे पायल की एक खनक पाने को।। 

मैं राह तके बैठा हूँ, तेरे एक दीदार को।। 

तेरी मखमली चूनर का उड़ जाना।। 

मैने देखा तो तेरा शर्माना।। 

तेरी इस अदा पे मैं मरता हूँ।। 

हर वक्त तेरा इंतजार करता हु।। 

मैं राह तके बैठा हूँ,

तेरे एक दीदार को।।

तेरे बालों का बँधा जुड़ा।। 

तेरे हाँथो का खनकता चूड़ा।। 

मेरे नींदों को उड़ा ले जाये।। 

मैं राह तके बैठा हूँ

तेरे एक दीदार को।।

 

                  


 

बुढ़ापा

 

उम्र बढ़ती है

शरीर कमजोर होता हैं

कमर झुक जातीहै

जब बुढ़ापा आता हैं

 

            मुँह में दाँत नही होते

            आँखों मे रोशनी नही होती

             हाथ हिलने लगते है

             जब बुढ़ापा आता हैं

 

न अपना शरीर साथ देता है

न कोई सहारा देता हैं

सबके लिए बोझ बन जाते हैं

जब बुढ़ापा आता हैं

  

               बीमारिया पकड लेती हैं

                ठंडी जकड़ लेती हैं

                 नींद नहीं आती हैं

                  जब बुढ़ापा आता हैं

 

लालच होती बच्चों जैसी

हरकत होती बच्चों जैसी

ज्यादा खा नहीं सकते हैं

पेट खराब हो जाता हैं

जब बुढ़ापा आता है

 

                                   

 

सर्दी आ गयी

 

सर्दी आ गई 

धुन्ध छाने लगा 

ओठ कपकपाने लगे 

हाथ ठिठुरने लगे 

सर्दी आ गई।। 

पानी ठंडा हो गया 

फ़नहाने में डर लगने लगा 

रजाई लगने लगी 

सर्दी आ गई।। 

आग सेकने लगे 

गर्म पानी पीने लगे 

ठण्ड से बचने लगें 

धूप कम लगने लगी 

सर्दी आ गई।। 

कोहरे से दिखाई कम देने लगा  

ट्रेन लेट होने लगी 

Accident का खतरा बढ़ गया 

स्वेटर ,टोपी पहने लगे 

सर्दी आ गई

           


 

हैप्पी न्यू ईयर

 

नया साल है 

नया जोश है 

यार नई है जवानी 

नया खून है 

नये लोग हैं 

यार नई है कहानी 

नये साल पे

नये लोग हम मस्ती खूब करेंगे 

पार्टी सार्टी धमाल चौकड़ी खूब करेंगे 

मुर्गा दारू सँग एन्जॉय करेगें 

नया साल है 

नया जोश है 

यार नई है जवानी 

न्यू ईयर को विस् हम करेगें 

मैसेज दोस्तों को करेगें 

रात भर डान्स होगा 

गर्ल फ्रेंड संग रोमांस होगा 

हैप्पी-हैप्पी-हैप्पी रहेगें 

नया साल है 

नये लोग हैं 

यार नई है जवानी 

नया साल मुबारक हो 

हैप्पी न्यू ईयर

                   


 

वो किसान है

 

कड़क धूप में,कड़क ठंड में,

जो काम करे,वो है किसान।।

लालच है उनको,वर्षा आने की

वो आकाश को देखा करते है।।

कड़क धूप में,कड़क ठंड में,

बारिस में काम वो करते है।।

वो है किसान।।

लालच है उनको खाद, बिजली, पानी की,

ये थोड़ा सस्ते मिल जावे।।

दिन हो या फिर रात हो,

जो काम करे ,वो है किसान।।

लालच है उनको,फसल उनकी खूब फले,

फसल का मुवाबजा अच्छा मिले।।

जो दिन भर काम करे, वो है किसान।।

अच्छी फसल देख कर जो मुसकुरया करते हैं,

खराब फसल को देखकर जो मुरझाए रहते है।।

दिन रात खेतो जो रहते है, वो है किसान।।

लाचारी भी उनको होती हैं,

ओला कही न पड़ जाए।।

लाचारी भी उनको होती है,

सूखा कही न पड़ जाए।।

जो कभी न आराम करें, वो है किसान।।

आज देश के किसानों की हालत है गम्भीर,

रोज है करते आत्म हत्या मुद्दा है गम्भीर।।

किसानों ने जो खेती करना छोड़ दिया।।

सबको मुश्किल हो जाऐगी।।

सबसे विनती है मेरी सोचो किसान के बारे मे,

जो सबके बारे ने सोचता है वो है किसान।।

दहकती आग

 

मन्जर मई माह का था,

चौबीस तारीख 2004 का।।

दिन सोमवार का था।।

गर्मी बहुत पड़ रही थी,

दोपहर में लोग अपने अपने घरों में सो रहे थे।।

समय सवा एक बजे का समय।।

अचानक एक आग की चिन्गारी निकली,

जो पूरे गाँव को पल भर में राख कर दिया।।

किसी को सम्भलने का मौका नही दिया।।

वो दहकती आग की लपटों ने,

कई मासूमो की जान ले ली।।

न जाने कितने जानवर जल कर राख हो गए,

एक औरत ने पड़ोसी को जगाने गयी ।।

और आग ली लपटों के आगोश में खो गयी।।

बाप ने बेटे को बचाने में जल गए,

पूरे गाँव मे अफरातफरी मच गई।।

गाँव वाले पानी से आग बुझाने में लगे रहे।।

पर वो दहकती आग की लपटों के आगे किसी का बस न चला।।

फायर ब्रिगेड बुलाया गए ,

कई घन्टो के बाद आग पर काबू पाया गया।।

आदमियो के घर ढह चुके थे ,

रहने की छत नही बचीं थी।।

खाने के लिये अन्न नही था।।

कुछ परिवारों मे रोने को आदमी नही बचें थे।।

दहकती आग ने सब तबाह कर दिया था।।

कई दिनों कब कोई सो नही पाया।।

चारो तरफ आग ही दिखती थी।।

वो मचलती आग ,वो दहकती आग,

वो प्राणघातनी आग,प्रकोपनी आग।।

पड़ोसी गाँव के लोगों ने अन्न सहायत की,

सरकार ने भी कुछ मुवाबजा दिया।।

लेकिन जो नुकसान हुआ,

उसकी भरपाई नही हो सकती हैं।।

मैं दुआ करुगा ईस्वर से,

ऐसा प्रलय कही न आये।।

 

 

        


 

सफ़ेद चादर बर्फ की

 

सफ़ेद चादर से सजी हुई है

ये धरा अपनी।।

प्रकृति ने संजोय हुए है रंगों की चादर,

हरा रंग है पेड़ पौधों की सोभा,

नीला रंग आसमान की शोभा।।

सफेद चादर से धरती सजती रहे।।

पेड़ो ने ओढ़ कर ठंडी सी चादर,

कपकपाते हुए आनन्द ले रहे है।।

रातों में जब चांदनी आ जाती है,

बर्फ़ीली वादियों में पड़ते ही रोशनी जगमगा जाती है।।

सीत का प्रकोप आता है,

हवाएं सर्द हो जाती है,

बर्फ बरसने लगती हैं।।

सफ़ेद चादर बिछ जाती हैं।।

पहाड़ियों में भी बर्फ की चादर बिछ जाती है।।

दूर दराजों से फिर ठंडी हवाओं का झोंका आता है।।

पेड़ पौधें हिल हिल कर,

अपने बर्फ को झाड़ते हैं।।

पेड़ो पर जब बर्फ है जमती,

क्रिसमस ट्री बन जाते हैं,

नदियों झीलों का पानी भी,

जमकर बर्फ बन जाता हैं।।

सफ़ेद चादर से सजी हुई है

ये धरा अपनी।।

 

          

             

कुम्भ मेला

 

प्रयागराज में भीड़ लगी है,

भक्तों की टोली की।।

हर हर गंगे बोल रहे हैं,

भक्तों की टोली से।।

बारह साल में आता है कुम्भ मेला।।

मस्त मलंग हो टिका लगया,

भस्म लगी माथे पर।।

हाँथ में लेकर चिलम,

धुँआ छोड रहे चारों तरफ़।।

नागाओं ने जटा बढ़ाया,

रुद्राक्ष के माला पहने,

दिख रहे अलग अलग।।

प्रयागराज में भीड़ लगी है,

भक्तों की टोली की।।

बारह साल में आता है कुम्भ मेला।।                                

 गंगा जमुुना सरस्वती का,

यहाँ पावन संगम है।।

चमक रहा है प्रयागराज,

चकाचौंध रौशनी से।।

गेरुआ रंग से सजा हुआ है,

संगम तट स्थल।।

साधु संतों की भीड़ लगी है,

भस्म लगाये बैठे हैं,

हाँथो त्रिसूल और डमरू लिए

धुनी रामये बैठे हैं।।

यग्ग हवन होते रहते है

गंगा जमुना के तट पर।।

नावों में सैर है करते

संगम के बीच मे।।

संख नाद होते रहते हैं,

भक्तों के इस भीड़ में।।

यहाँ गंगा जमुना सरस्वती है मिलती,

संगम वो कहलाता है।।

प्रयागराज की शोभा बढ़ती,

तीनों नदियों के मेल से।।

पग पग भीड़ लगी भारी है,

पग रखने की जगह नहीं।।

हवन कुण्ड की सुद्ध हवा से,

महक रहा है प्रयागराज,

फूलों की मालाये डालें।।

सजा हुआ है प्रयागराज।।

बारह साल में आता है कुम्भ मेला।।   

        

  


 

 

कहानी है प्रेम की

 

लड़ झगड़ सकते नहीं,

ये भी कहानी है प्रेम की।।

लड़ झगड़ कर जो जिंदगी बिताये,

वो भी कहानी है प्रेम की।।

आँसू बहाकर जो कह न पाये,

वो भी कहानी है प्रेम की।।

मुस्कुरा कर जो कह दिया,

जिंदगानी हो प्रेम की।।

कभी हँसाया कभी रुलाया,

मोहब्बत में ऐसा होता हैं,

कोई रात भर जागता है,

कोई दिन में भी बेसुध होकर सोता है ।।

ये अपनी अपनी परिभाषा है।।

ये भी कहानी है प्रेम की।।

कोई प्यार में राहे तकता,

कोई प्यार में दारू चखता,

दारू वाला तारीफे करता,

पर उसको मालूम नहीं,

मैन क्या तारीफें है की,

ये भी कहानी है प्रेम की।।

तू न मिली मुझको तो,

कोई कहता मर जाऊँगा,

कोई कहता मार डालूँगा,

प्यार में कोई क़ातिल बन जाये।।

मेरी नजर में प्यार नहीं।।

ओझल होते ही मेरी आँखें,

उसको ढूढ़ने लगती हैं,

वो जब होता मेरे सामने,

नजर मेरी झुक जाती हैं।।

कभी कभी वह रूठ है जाता।।

ये भी कहानी है प्रेम की।।

 

 

                        


मकर संक्रांति

 

हिन्दू धर्म का पावन पर्व,

है मकर संक्रांति का पर्व।।

इस दिन सूर्य दक्षिणायन से,

उत्तरायण में आता है।।

दक्षिणायन देवताओं की रात्रि मानी जाती है,

उत्तरायण देवताओं का दिन ।।

सूर्यदेव की पूजा भी की जाती है,

सुभ मुहूर्त देख कर ठन्डे पानी से नहाया जाता है।।

गंगा जमुना नदियों में डुबकी लगाई जाती है।।

चावल दाल की खिचड़ी देवताओं में चढ़ाई जाती हैं,

बच्चों में खुशहाली दिखाई देती हैं,

रंग बिरंगी पतंगे उड़ाई जाती है,

हर घर मे खिचड़ी खाई जाती है,

हिंदू धर्म का पावन पर्व,

है मकर संक्रांति का पर्व।।

गिल्ली डंडा का खेल भी खेला जाता है।।

गुड़ और तिल खाया जाता है।।

गंगा तट पर खिचडी चढ़ाई जाती है।।

हिन्दू धर्म का पावन पर्व,

है मकर संक्रांति का पर्व।।

 

                


 

गूगल गूगल

 

गूगल गूगल ढूढ रहा है,

अपने लिए एक लड़की।।

शादीडॉट कॉम में भी अप्लाई कर दी,

ऐसी हो एक लड़की।।

हाइट उसकी पाँच फुट चार इंच की हो,

गोरा रंग और सुंदर मुखड़ा।।

बाल हो उसके काले लम्बे,

वो लगे चाँद का टुकड़ा।।

पढ़ी लिखी हो बीए पास,

इंग्लिश में करती हो बात।।

गूगल गूगल ढूढ रहा है,

एक सुंदर सी लड़की।।

ट्यूटर  में एकउन्ट खोला,

सायद कोई मिल जाये,

कई लड़कियों से फ़्रेण्डशिप भी की,

पर कोई पसंद नहीं आयी।।

गूगल गूगल ढूढ रहा है,

अपने लिए एक लड़की।।

फेसबुक पर लाइक करता है वो,

जो सुंदर फ़ोटो मिल जाये,

रात रात भर कॉमेंट्स है करता,

जब तक रिप्लाई आये,

जब पता चला वो लड़की नही है,

दिल फिर टूट गया है।।

गूगल गूगल ढूढ रहा है,

अपने लिए एक लड़की।।

व्हाट्सएप पर उसने कई ग्रुप है बनाये,

रोज सबेरे मैसेज है करता,

दस लोगों को फारवर्ड करो,

जल्दी तो सुंदर लड़की मिल जाये।।

गूगल गूगल ढूढ रहा है,

अपने लिए एक लड़की।।    

 

                                 

 

 

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